Umar meri 26 Lyrics Rap – Shagun Sharma

Umar meri 26 Lyrics Rap is the Latest Rap song in 2022 from Hustle 2.0 which is sung by Shagun Sharma and the lyrics is also given by Shagun Sharma.

Umar meri 26 Lyrics Rap – Shagun Sharma Lyrics

Umar meri 26 Lyrics Rap
SingerShagun Sharma
Song WriterShagun Sharma

उम्र मेरी छब्बीस, अनुभव जैसे बावन
ये छंद मेरे तांडव , मैं लेखक जैसे रावण
ज्ञावन ये सोच के, उम्र पे करते बात मेरी
मर्दानी कलम ये लिख दूं फिर से सन् सत्तावन

हाथ कलम लिखूं तांडव स्त्रोत
है ये शुद्ध लेख जैसे पांडव भोज
वैसे रहता शांत पर क्रोध तृप्त
मुझे आया क्रोध होगा खांडव रोज

चेहरे पे तेज है, आंखों में लाली, मैं युद्ध में खुद ही का सारथी
उंगली मेरी ये पांडव जैसी, हैं सारी ये अपने में महारथी
भारतीय, मैं महानदी, मिलूं संस्कृत से जैसे मैं फारसी
गाथा लिखुं सारी सच, जो जीवन के सबका सारथी

बातें ये कांटे की भांति, तभी ना सबको भाती
भात जो खाते हो बिना चबाए, उन्हें क्या ही भाए चपाती
स्याही मानो मेरी माँ सी, और कलम मेरी मौसी
अधूरी बहनें ये एक दूजे बिन, बेटा इनका करामाती

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खोजूं खोट खुद में खामी पसंद,मुझे कार्य करना नामी पसंद ,
करूं अच्छा चाहे कितना भी खुद में,
माँ की उसमे हामी पसंद

उम्र मेरी छब्बीस, अनुभव जैसे बावन
ये छंद मेरे तांडव, मैं लेखक जैसे रावण
ज्ञावन ये सोच के, उम्र पे करते बात मेरी
मर्दानी कलम ये लिख दूं फिर से सन् सत्तावन (1857)

उम्र मेरी छब्बीस, अनुभव जैसे बावन
ये छंद मेरे तांडव, मैं लेखक जैसे रावण
ज्ञावन ये सोच के, उम्र पे करते बात मेरी
मर्दानी (झांसी की रानी) कलम ये लिख दूं फिर से सन् सत्तावन (1857)

दानवीर मैं कर्ण सा
ज्ञान में मैं लंकेश सा
भक्ति मेरी प्रहलाद जैसी
मेरा क्रोध जैसे महादेव सा

कंस है सारे तो मैं कृष्ण कहाऊं
जो चलाऊं मेरा चक्र बुराई को मिटाऊं
जो मैं लिखने पे आऊं शब आंखो में बसाऊं
ना कराऊं मैं फजीहत कुछ नया मैं सिखाऊं

नृप तव मनसी मेलनम पदयुगलम ऋषिवर घोषित
शिरसि सस्य हिमगिरिमुकुटम तरुवसनम तव संशोधित:
सत्यभाषणम् प्राप्य प्रचारक क्रूर वर्धनम कथ्यते
काफिर बने बैठे काहिल एतराफ इनायत बख्श दे

ताने वाने देगा ये जमाने,मत माने
जाने खुद को तू, बस खुद को ही पहचाने
अनजाने कर लोग जो आए थे गिराने
ना सुनाने अफसाने मेहनत को तू जाने

प्रेम हिंदी, मेरी शुद्ध वर्तनी ,संस्कृत पर भी जोर दिया
उर्दू संग शुद्ध हिंदी को संस्कृत को मैंने जोड़ दिया

उम्र मेरी छब्बीस, अनुभव जैसे बावन
ये छंद मेरे तांडव, मैं लेखक जैसे रावण
ज्ञावन ये सोच के, उम्र पे करते बात मेरी
मर्दानी कलम ये लिख दूं फिर से सन् सत्तावन


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